साथियों हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 15 अगस्त को प्रबुद्ध राष्ट्र अपना 73 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। साथियों स्वतंत्रता या आजादी का मतलब होता है कि, जहां पर हर नागरिक बिना किसी दबाव के अपनी इच्छा से अपना जीवन निर्वाह कर सकें व हर व्यक्ति अपनी बात स्वतंत्र रूप से रख सके। साथियों जैसा कि आप सभी को विदित है कि, मां भारती की धरा पर आज हम जिस खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं, इसके लिए मां भारती के अनगिनत लाड़ले सपूतों ने अपने प्राण न्योछावर किए हैं। साथियों 200 साल तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ी हुई, मां भारती से गुलामी की बेड़ियां हटाने वाले कुछ महान स्वतंत्रता सेनानियों व नेताओं के नाम आपके समक्ष रखना चाहूंगी।
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अगर महिला शक्ति की बात की जाए तो, बेगम हजरत महल, अरुणा आसफ अली, रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंतीबाई लोधी, अजीजन बाई, आशा देवी, उदा देवी, उषा मेहता, कमलादेवी चट्टोपाध्याय, झलकारी बाई, दुर्गाबाई देशमुख, मालती बाई, रानी चेन्नम्मा आदि। वहीं पुरुष स्वतंत्रता सेनानियों की बात की जाए तो, शहीद ए आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, सरदार वल्लभभाई पटेल, लाला लाजपत राय, पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, मोहनदास करमचंद गांधी, चंद्रशेखर आजाद, अबुल कलाम आजाद, अशफाक उल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल, खुदीराम बोस, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, विपिन चंद्र पाल, गोपाल कृष्ण गोखले, टंट्या भील, तात्या टोपे, नानासाहेब, टीपू सुल्तान, मंगल पांडे आदि। साथियों इन सभी के अथक प्रयासों व बलिदान से हमें आजादी मिली। 14 अगस्त की रात को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण ट्रिस्ट विद डेस्टिनी (नियती से साक्षात्कार) में हमारी आजादी की औपचारिक घोषणा की। वहीं सुचेता कृपलानी ने 11:00 बजे राष्ट्रगीत वंदे मातरम सभा में गाया। अगली सुबह 15 अगस्त 1947 को हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया और देशवासियों ने पहली बार आजादी की खुली हवा में सांस ली। साथियों आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर देने वाले मां भारती के सभी लाडले सपूत हमें सदैव प्रेरणा देते रहेंगे। साथियों सबसे बड़ी बात यह है कि हमें स्वतंत्रता के मोल को समझना चाहिए। यह हमारे लिए बहुत ही चिंता की बात है कि, हम इतने वर्षों की आजादी के बाद भी आज तक अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा, असमानता, जातिगत भेदभाव आदि से लड़ रहे हैं ।साथियों हमें इन सभी का हल खोजने के लिए, हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम के इस कथन को सदैव याद रखना चाहिए। कलाम साहब ने कहा था कि “अगर देश को भ्रष्टाचार मुक्त व अच्छे ज्ञान वाले लोगों का बनाना है, तो समाज से जुड़े। माता-पिता व शिक्षक यह तीन अपनी भूमिका निभाएं तो बदलाव ला सकते हैं। व देश को भ्रष्टाचार व अन्य नकारात्मक चीजों से बचा सकते हैं।” साथियों आज हम सबको मिल कर प्रण लेना चाहिए कि, हम देश को विश्व में सबसे आगे ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। व हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे। धन्यवाद जय हिंद जय भारत
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