
21वीं सदी में प्रासंगिक बनी आजादी को व्यक्त करती हुई एक कविता:-
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https://youtu.be/smZ4P1rBpNA
आजादी मिली है हमें, हम जश्न मना रहे हैं आज,
21वीं सदी के युवा कैसे समझे देशभक्ति के राज। ना कोई सुभाष, ना कोई भगत सिंह, ना इनके सर पर है इंकलाब का ताज। आज के युवा तो सिर्फ जानना चाहे,करीना, ऐश, आलिया के फिटनेस के राज। नहीं चाहते देश की खातिर बहाना खून पसीना, खुद को कहते हैं, एन आर आई गर्व से तान के अपना सीना। अंग्रेजों को हमने भगाया, आज हम खुद ही वहां पर भागे है। डॉलर कमाने की जहां में हम कहते हैं,अमेरिका हम से आगे हैं। क्रिकेट के हम हुए दीवाने, हॉकी का जेहन में नाम नहीं है। पब बार और मयखानों के बिना होती हमारी शाम नहीं है। राष्ट्रगान और वंदे मातरम गीत तक हमको ना आए। शकीरा का वाका-वाका गाना हमको भाए। एक दिन के देश भक्त बन हम तिरंगा लहरा देंगे आज,और अगले ही दिन फिर बजाएंगे अंग्रेजों के साज ।
जय हिंद जय भारत
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